सत्य क्या है?
ब्रह्म ही सत्य है बकी सारा जगत मिथ्या है, उस संसार में परम पिता परमात्मा ही सत्य है वाकी सारा जगत मिथ्या है एक मात्र शाश्वत सत्य मृत्यू ही है इस संसार में जोभी कुछ है वह सब कुछ झूठ है और यह संसार परमात्मा का रंग मंच है और हम उनके खिलौने है जिस प्रकार बच्चे थिलौनो से खेलते है
और फिर जब मन भर जाता है तो उन्हे तोड देते हैं उसी प्रकार ब्रह्म भी खेलते है और मन भर जाता है तो संसार का प्रलय कर देते हैं
भगवान का यह संसार कृणा स्थल है जहा प्रभू खेलते है और मनुष्य जब कोई गलती करता है और पाप करता है तो भगवान हसते है कि मेने तुम्हे संसार में तुम्हें धर्म कर्म करने के लिए भेजा था और तुम ये सब पाप कर रहे हो हमे पाप का मार्ग छोड के पुण्य का मार्ग अपनाना चाहिए परमात्मा ने हमे 84लाख योनियो मे सबसे श्रेष्ठ मनुष्य का जन्म दिया
और हम इस सरीर को व्यर्थ गवा रहे हैं हमे जब और अच्छी चीज फ्री मे मिलती है तो हमे उसका उपयोग बहुत अच्छे से करना चाहिए और हमे तो बहुत ही कीमती शरीर मिला है
जो देवताओ को भी दुर्लभ है
बडें भाग्य मानुष तनपावा
सुरदुर्लभ सब ग्रंथन गाबा
वह शरीर मिला है इसी लिये हमे इस मनुष्य शरीर का पूरा उपयोग करना चाहिए भगवान का भजन करके
बड़े भाग्य से हमें मनुष्य का शरीरमिला है इसे व्यर्थ नही गवाना चाहिए क्यों की यह शरीर भाग्य से मिलता है
जो की देवताओको भी दुर्लभ है इसी लिए हमें इस शरीर का दुरुपयोग नही करना चाहिए,
हामें इस शरीर का सदुपयोग करना चाहिए,और जानकारी के लिए क्लिक करे
और फिर जब मन भर जाता है तो उन्हे तोड देते हैं उसी प्रकार ब्रह्म भी खेलते है और मन भर जाता है तो संसार का प्रलय कर देते हैं
भगवान का यह संसार कृणा स्थल है जहा प्रभू खेलते है और मनुष्य जब कोई गलती करता है और पाप करता है तो भगवान हसते है कि मेने तुम्हे संसार में तुम्हें धर्म कर्म करने के लिए भेजा था और तुम ये सब पाप कर रहे हो हमे पाप का मार्ग छोड के पुण्य का मार्ग अपनाना चाहिए परमात्मा ने हमे 84लाख योनियो मे सबसे श्रेष्ठ मनुष्य का जन्म दिया
और हम इस सरीर को व्यर्थ गवा रहे हैं हमे जब और अच्छी चीज फ्री मे मिलती है तो हमे उसका उपयोग बहुत अच्छे से करना चाहिए और हमे तो बहुत ही कीमती शरीर मिला है
जो देवताओ को भी दुर्लभ है
बडें भाग्य मानुष तनपावा
सुरदुर्लभ सब ग्रंथन गाबा
वह शरीर मिला है इसी लिये हमे इस मनुष्य शरीर का पूरा उपयोग करना चाहिए भगवान का भजन करके
बड़े भाग्य से हमें मनुष्य का शरीरमिला है इसे व्यर्थ नही गवाना चाहिए क्यों की यह शरीर भाग्य से मिलता है
जो की देवताओको भी दुर्लभ है इसी लिए हमें इस शरीर का दुरुपयोग नही करना चाहिए,
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भगवान कहते है >
मेने मानुष जनम तुमको हीरा दिया, तू व्यर्थ गवाए तो में क्या करू
वेद वेदों में सब कुछ बता ही दिया, तेरे समझ में न आये तो में क्या करू
अन्न, दूध ,घी ,फल आदि भी तुम को दिया मेवा, मिष्ठान, भी मेने पैदा किया
अब तू हत्यारा हो जीब के स्वाद में तू अगर मांश खाए तो में क्या करू
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