आत्मा क्या है?
नैनं छिन्दन्ती सहस्त्राणी नैनं दहती पावकाः|
न चेनम् क्ले दयं तापो न शोशयती मारुताः||
ना ही सूर्य के ताप से सखाया जा सकता है, ना ही अग्नी मे जलाया जा सकता है,
आत्मा अमर होती है मरता तो लेवल और केवल शरीर है,जिस प्रकार मनुष्य अपने पुराने कपडे को उतार के नये कपडे धारण करता है बैसे ही आत्मा भी पुराने शरीर को छोड के नया शरीर धारण करती है,
आत्मा कभी नहीं मरती आत्मा अमर है||
आत्मा कोन है
आत्मा परमात्मा का अंश है जो अमर है आत्मा परमात्मा एक येव आत्मा का कोई रूप नही है मनुष्य अपने आत्म वोध को भूल गया है जिसे आत्म वोध हो जाये वह परमात्मा के सामान दिव्य हो जाता है आत्मा एक ज्योति स्वरुप है जिसे कोई देख नही सकता,
आत्मा भगवन का भजन करना चाहती है परन्तु मन आत्मा को भगवन का भजन नही करने देती भगवन ने मनुष्य को संसार में भेजा है ताकि मनुष्य भगवन का भजन करके मुक्ति को पासके और भगवन के पास जाके अपना कल्याण कर सके जिस प्रकार पुत्र अपने पिता का अंश होता है उसी प्रकार आत्मा परमात्मा का अंश है
एक
एक दिना वन में वस के वनराज की नारी ने नाहर जायो काहू गडरिया के संग लयो बहे भेणन बीच चरायो
भूल गयो कुल धर्मं सबै जब बड़ो खूब डरयो एसे ही आत्मा ज्ञान बिना नर भूल के ब्रह्म से जीव कहायो
एक दिन वन में रहने बलि वन राज की पत्नी सरनी ने एक पुत्र को जन्म दिया और वह पुत्र अपनी माता से बिछड़ गया एक गणरिया जो की बकरी चराने बाला था उन भेडो के बिच में सेर का बच्चा भी था और उसे गडरिया ने खूब चराया और वह बड़ा हो गया फिर एक दिन सेर का आक्रमण हुआ
तो उसने देखा की एक सेर भी भाग रहा है उसने उस सेर को रोका और पूछा की क्यों भाग रहे हो तुम तो दुसरे सेर ने जबाब दिया की आप सेर है मुझे खाजाओ गे,
इस बात पर सेर हँसा और बोला में तुम्हे नही खाऊगा तूम भी सेर हो में भी सेर हु तो बच्चा बोला नही महाराज आप जंगल के रजा है में नही हु तो बड़े सेर ने उस छोटे सेर को जल में प्रातिविम दिखाया और बोला की तुम मेरे जैसे हो ,
इसी प्रकार से हम भी परमात्मा के अंश है परन्तु हम अपने स्वरुप को भूल गये है और हमें कोई परमात्मा का दूत चाहिए जो हमें सत्मार्ग में लेजासके वह दूत श्री गुरुदेव भगवान् है ,
हमें सत्मार्ग में चलना चाहिए
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